सीता राम जी का निमंत्रण || हिंदी कहानी

#Hindikahani

अभी बीस मिनट पहले एक फोन आया !
नमस्कार भाई साहब ...
नमस्कार ..
मैं सीताराम बोल रहा हूँ , आज शाम को महेश सेवा सदन में खाना खाने पधारना हैं ! आपके बच्चे की सगाई का प्रोग्राम हैं.. जरूर जरूर आना हैं !

मैं मुस्कुराते हुए - अजी बिल्कुल आएंगे , क्यों नहीं आएंगे !

फोन रखने के बाद मैंने काफी देर तक सोचा ..ये कौन सीताराम था ? मैंने दिमाग़ पर काफी ज़ोर लगाया , पर फोन पर उस आवाज को मैं पहचान नहीं पाया ! 

खैर.. मैंने घर पर फोन करके शाम को प्रोग्राम में जाने की बात कही और मेरे लिए खाना बनाने के लिए मना किया !

घर पर फोन करके फ्री ही हुआ था कि वापिस उसी नंबर से फिर कॉल आया ! मैं एक घंटी में ही फोन उठाकर बोला - हाँ सीताराम जी... बोलिए..

सीताराम - अभी मैंने फोन किया था ना आपको ...

मैं - हाँ , अभी आया था ना आपका फोन , आज का ही तो हैं प्रोग्राम आपका !
मैंने सोचा कहीं बोलने में कहीं हेरफेर तो नहीं हो गयी हैं !

पर सीताराम जी ने फोन पर जो कहा , उसे सुनकर मेरे सारे अरमान टूट कर हवा में उड़ गए !
जब उन्होंने बड़े ही नम्र स्वर में मुझसे कहा - हाँ , वो क्या हैं ना भाईसाहब , गलती से आपको रॉन्ग नंबर लग गया था ! अगर आपने घर पर खाना बनाने के लिए मना कर दिया हो तो कृपया वापिस फोन करके भूल चूक सुधार लेवें !

.. 

Comments

Popular posts from this blog

जिम्मेदारी || दायित्व || जवाबदारी || उत्तरदायित्व || भार, ||प्रभार || जवाबदेही || उत्तरदेय || आभार || दायित्व का अर्थ

रोटी की कीमत