भूख लगी है || हिंदी कहानी

अचानक एक श्रीमती जी को उनके पति जी का मैसेज आया…." भूख लगी है "....

श्रीमती जी का गुस्से में पूरा माथा ठनका और उन्होंने जवाब लिख मारा…गुड्डू के पापा, कुछ तो भगवान से डरो, अभी तो छककर खाया और फ़िर टहलने निकले ,उसके बाद इतनी जल्दी भूख लगी…

अब आप मुझको बताये कि आपको भूख कब नहीं लगती, अच्छा नाश्ता करने के बाद भी आप चाय के साथ बिस्कुट के दो पैकेट खा जाते हैं… 

दोपहर में आप लंच तगड़ा करते हैं और डिनर पर भी जबरदस्त टूट पड़ते हैं… 

जब भी रात को जागते हैं, फ्रिज को लाज़मी तौर पर खोलकर कुछ न कुछ हाथ मारते हैं…

ये कैसी भूख है जो मिटने का नाम ही नहीं लेती, मौका खुशी का हो या ग़म का, भूख का जिन्न हमेशा आपके ऊपर सवार रहता है, गुस्से में भी खाने का दौरा आपको पड़ता है और खुशी में तो भूख दुगुनी हो जाती है…

थक गयी हूँ मैं आपकी इस भूख से… अपनी रोटी खाकर बच्चों में भी शामिल हो जाते हैं। आपके हाथ ना आ जाए इसलिए खाना छुपाना पड़ता है…

बस अब भूख की चर्चा बंद कर दो.. मैंने खा लिया और अब मैं सोने जा रही हूँ.. और आप भी घर आकर चुपचाप सो जाओ, आपकी आवाज़ नहीं सुनाई देनी चाहिए, समझे "...!

पति जी का रिप्लाई मैसेज आया…श्रीमती जी , रास्ते में एक दोस्त मिला तो वो पिज़्ज़ा खिलाने ले आया , सोचा आपसे भी पूछ लूँ…भूख लगी हो तो लेता आऊं…खैर कोई बात नहीं, सो जाओ तुम औऱ मुझें माफ़ करो"...!!
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.....ज्ञान..... " बिना पूरा मामला समझे चपड़ चपड़ न करने में ही भलाई है "...!!

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